जीब के मनोकाङ्क्षा छौ त शहिद बनवाक बात
नहि करय 
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
याद रहय प्रत्येक डेग पर शासकबर्ग के
बन्दुक छैक 
प्रत्येक बाट मे बिघ्न-बाधा सभ छैक 
परन्तु विचलित नहि हायब;
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
कहैय किछु, करैय
किछु, बोली के व्यापारी सब अछि 
खुजल आँख, बंद दिमाग, ई एकर पहिचान छैक ,
तखैन हमरा आँहा के कि के परेशानी अछि 
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
स्मरण रहय यदि आँहा सत्य छि, तखैन
नित्य छि 
परिणाम के परवाह कायर करैत अछि
कहल गेल छैक-बिनाशाय चतुस्कृता
यदि आत्मा साफ अछि, तखैन चार-धाम घुमब
तर्कपुण नहि छैक 
यदि आँहा ठिक त आहाँ कऽ दिशा ठिक 
दर्द स भरल आह! न करय
जीब के मनोकाङ्क्षा छौ त शहिद बनवाक बात
नहि करय 
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
याद रहय प्रत्येक डेग पर शासकबर्ग के
बन्दुक छैक 
प्रत्येक बाट मे बिघ्न-बाधा सभ छैक 
परन्तु विचलित नहि हायब;
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै
याद रहय जई सीता के माता कहि कऽ
बजाबैत छि
ई शासकबर्ग ओई सम्मान पर कलंक लगौलैन
अछि
ई स्थान त स्वतन्त्रता खोजैत अछि, 
माता जानकी अपन सम्मान वापस माँगैत
छैथ
माता के ईज्जत-लाज बचेवाक प्रत्येक
मधेशी के कर्तव्य छियै 
तखैन मन के किया कऽ बिचलित करैत छि
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
कहल गेल छैक-“मंजिल उसी को मिली यहाँ,
जो उसूलों की खातिर,जान की बाजी लगाया”
देह त्याग कर स भयवित नहि होउ,
आँहा एक सच्चा मधेश पुत्र छि जे अपन मार्ग
स्वयं निर्माण करैत अछि,
जखैन अपन “मंजिल” नजदिक अछि तखैन शीश नहि झुकाउ ;
ई अपन मधेश छियै गाँधी के अहिंसा के
शोधपत्र नहि छियै 
 
 
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